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Thursday, January 31, 2013

जिंदगी

जिंदगी अब बटुआ हो चली ,और समय सिक्के
माँ की प्यारी थपकी अब, बस का क्रूर धक्का हो चली
साली जिंदगी अब बटुआ हो चली ,और समय सिक्के


                                   

बेरौनक यहाँ कोई चेहरा नहीं होता ,
नूर सी चमकती है वो आंखे भी ,
जब  अजनबी सहर मे ,आवारा घुमती उन सडको पर
उम्मीद का एक दीपक  ,धुंधला नहीं होता .


  

Saturday, January 19, 2013

   "

 उस रोज़ बारिश बिना खपरैल वाली छत से टकरा कर बोली
हठ मुहाजिर कहीं का
वहीं सुखे ज़मिनोदंज़ जिस्म चिल्लाकर बोले सुक्रिया
बुखार मे तड़पती उस मासूम बच्ची ने उपर वाले को कोसा
की जा  मेरी आखरी सांस ने तुझे माफ़ किया