वो बहुत देर तक अपने को आदम कद सीसे के आगे खोजता रहा। … वही अनुराग जो वो आज से २० साल पहले था। अपने प्रतिबिम्ब को लगातार निहारता …… बगल वाले कमरे कि आवाज़ से बेखबर अनुराग बस अपने भविषय को लेकर बेहद कुंठित था …। जानता है वो इस मुददे पर जितना सोचेगा उतना दुखी होगा। कमरे कि घडी रात के नौ बजा चुकी है ....बहार हवा के तेज़ झोंके चल रहे हैं आज तूफ़ान आएगा ये वो बेहद अच्छी तरह जानता है ,,,उसने खिड़कियाँ इरादतन बंद नहीं कि हैं। .... अनुराग लगातार खुश होने कि कोशिश कर रहा है। दरवाज़े पर किसी की दस्तक उसके ध्यान को तोड़ती है … पर वो फिर अपने काम मे मसरूफ … टेलीविज़न ऑन करता है … बार बार कुंठित मन शांत होने का नाम नहीं ले रहा। बहार बैठक मे कुछ लोग प्रविष्ट हो चुके है। इस बात का आभास उसे बखूबी है. किचन मे अलग तरह के खाने कि सुगंध , करछियों और नए बघोनो कि आवाज़ बदस्तूर ज़ारी है। पर अनुराग बस मुट्ठी भींचे पसीने पसीने हुआ जा रहा है। … बैठक का कोलाहल अब पहले से ज्यादा हो चला है। मोबाइल स्क्रीन पर नंबर फ़्लैश होता है। अनुराग झट से काट देता है। फ़ोन मधु का था। … उसे फ़ोन उठाना चहिये था। वो परेशा न हो जाता है। मधु का नंबर मोबाइल स्क्रीन पर फिरफलैश होता है। इस बार बिना देरी किये उसने फ़ोन उठाया है। … इस बार तुम्हे अपने माँ बाप से बात करनी ही होगी … गुस्से और फ़िक्र से भरी मधु अनुराग को बहुत कुछ कह गयी । पर अनुराग दिल और दिमाग को बंद कर बस एक टक खिड़की कि तरफ नज़र गड़ाए बेठा है. .... तूफ़ान कि गति लगातार बडती जायेगी। । न्यूज़ के वक्ता हुंकार भर रहे हैं। मधु का फ़ोन ओके …ओर आल द बेस्ट के साथ सवयं निरस्त हो गया।
अनुराग पहले से जानता था वो अलग है ,चुप चाप अपने काम के प्रति रूचि रखने वाले अनुराग के कभी भी कुछ ख़ास दोस्त नहीं रहे … बस कहने को इक दोस्त थी "मधु" जिससे वो खुल कर बात किया करता था … एकलौता होने के कारण उसके अकेले पन को दूर करने का ज़िम्मा मधु अपनी ज़िमेदारी समझती थी। …। वो अनुराग कि नज़र में दोस्त से कुछ ज्यादा थी। घडी अब साढ़े नौ बजा चुकी है। बेटा तैयार हो जाओ वो लोग काफी देर से बैठे हैं , तुम्हारे ही दफ्तर से आने का इंतज़ार कर रहे थे। … वैसे कब आये तुम माँ बोली , अभी पीछे के दरवाज़े से ।अनुराग झूठ बोल जाता है। ठीक है जल्दी तैयार हो जाओ ,मे सबके लिए खाना लगा रही हु
…
तूफ़ान अब हद से ज्यादा तेज़ है। उसे लगता है अब खिड़की बंद करने का वक़्त है मगर बाहर मेहमानो का शोर एक अजीब सी शान्ति कि ओर रवाना हो चूका है। . उसकी इच्छा तो थी कि वो ऐसे ही चला जाये थका मांदा चेहरा लिए ,भूख तो वैसे ही मर चुकी थी पर क्या करे उसे रह रह कर मधु कि बात याद आ रही थी उसे आज हिम्मत करनी होगी ,,,उसने अपने पसंदीता गुलाबी धारियों वाला स्वेटर पहना और डाइनिंग हॉल कि ओर बड़ गया। हेलो बेटा एक अधेड़ उम्र कि संभ्रांत महिला ने बड़े सधे हुए अंदाज़ मे बोला। अनुराग मुस्करा के बोला" हेलो" । बेटा ये मिस्टर अग्रवल है। पिताजी बोले ।ओर ये उनकी मिसेज़ हैं। अनुराग कि नज़र पास बैठी उनकी बेटी पर पड़ी । वो बेहद खूबसूरत थी और आवाज़ तो उससे भी दिलकश। मिसेस अग्रवाल तपाक से बोल पड़ी she is my daughter रौशनी , C. A है। अनुराग धीमे से बोला हेलो। फिर कुछ देर टेबल पर सन्नाटा आकर पसर गया। छुरी चमचों कि आवज़ साफ सुनी जा सकती थी. … अनुराग कि जहन मे मधु कि बात रह रह अपनी उपस्तिथि दर्ज़ करा करा रही है. …। किसी किताब में लिखी कुछ पंक्तियाँ अनुराग बार बार दोहरा रहा है "रूह एक यातना शिविर है जहाँ कैद हज़ारों ख़याल अपनी आज़ादी कि इच्छा पाले बेठे हैं। इससे पहले अनुराग अपनी बात कहता ,मिसेस अग्रवाल पहले ही बोल पड़ी बेटा अनुराग जाओ रूम में बैठकर रौशनी के साथ बात करो। और फिर जोर से हंस दी ,.... अनुराग के दिमाग मे तो जैसे बवंडर मच गया। अब तक इतनी बात तो अनुराग को साफ़ हो चली थी कि अग्रवाल दम्पती यहाँ किसी और कारण वश नहीं बल्कि उसकी शादी कि बात करने आये थे।इस से पहले वो कुछ और बोलते अनुराग तपाक से बोल पडा। पिताजी मे ये शादी नहीं कर सकता। . सबके दरमियान कुछ देर शान्ति पसर गयी। बेटा any problem
पिताजी बोले। …अनुराग ने एक लम्बी गहरी सांस ली ,फिर अंदर उठते द्वंद को समाप्त किया और जल्दी से बोला। ....पापा i am different ,.... खिड़की पर बहार बिजली ने अपनी आखरी मोज़ूदगी का अहसास कराया। …… और अनुराग ने दैहिक द्वन्द को खोल स्वयं को नर नारायण घोषित कर दिया। समलैंगिगता को उजागर करना उसके लिए कतई आसान नहीं था पर उसने वो किया जो उसके दिल न कहा। तूफ़ान अब शांत हो चूका था। घडी अब ११ बजा चुकी थी। । अग्रवाल फैमिली बड़ी तेज़ी से गर्दन झुकाये वहाँ से निकल गयी। रौशनी के मन मे अभी भी अनुराग के लिए प्यार था। पिताजी गुस्से से कमरे में चले गए। टेलीविज़न कि आवाज़ फुल वॉल्यूम में कर दी है सायद अपने अंदर आती हींन आवाज़ों को वो दबा देना चाहते थे। उधर टी वी पर खबर दौड़ रही है "समलैंगिगता पुनः अपराध कि श्रेणी में ".
अनुराग के मन में बस एक नयी उर्ज़ा है जैसे सजायाफ्ता कैदी के मन मे आज़ाद होने के ख्याल भर से होती है ।