Total Pageviews

Tuesday, December 14, 2010

झुठलाया सच

                चीख पुकारे तेज़ हो गयी आज शोर शराबो से
सडके शारी लाल हो गयी  आज खुली तलवारनो से
अस्मत शारी खुली पड़ी है ,आज गली चोराह्नो पर
नाली कब से अटी पड़ी हे ,लाशो के अम्बारो से
खुशियाँ सब तब्दील हो गयी  हाई- हाई के नारों से
चंद टुकड़ो में शराफत बिकती, देखी मेने ठेकेदारों में
न्याय झूलता देखा मेने ,आज फ़ासी के तारो  में
इमानदारी अपाहीज़ बेठी दिमाग के किसी किनारे में
भूक  को   अभी और जलना है भुकमरी के अंगारों में

1 comment:

  1. very nice but i want to see here some thing which is happen or happened good in nature ............. nice carry on dost

    ReplyDelete