की हलफनामो मे ही दर्ज रहा तेरे जीवन का हिस्सा
तू कुछ और करता, मुकम्बल आजादी का ख्वाब समेट ने के सिवा
तो यकिनन दर्ज़ होता ,उस बिक चुके कागज़ मे तेरा एक किस्सा।
तू कुछ और करता, मुकम्बल आजादी का ख्वाब समेट ने के सिवा
तो यकिनन दर्ज़ होता ,उस बिक चुके कागज़ मे तेरा एक किस्सा।
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