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Monday, January 17, 2011

कलम

लिखो लिखो बस लिखते रहो
शब्दों में बस तुम यूँ दिखते रहो
इन शब्दों में बस यूँ बंधा रहूँ
तुम लिखते रहो बस लिखते रहो

स्याही नीली न हो तो , काली से लिख दो
काली न हो तो , लाली से लिख दो
आँखों के आसूंओ ,को इसमें टपकाना
भावो और प्यार के समंदर बहाना
तुम लिखते रहो बस लिखते रहो

हाथो के पकड़ को कलम से कहना
चाहे राख रहूँ या दफ़न रहूँ
मेरे हाथो में सदा युएँ बने रहना
तुम बस लिखते रहो बस लिखते रहो

फिजाओं में घुले एस डर को लिख दो
हृदय में भरे इन तुफानो को लिख  दो
में चलता रहूँ और तुम कैद करो हर पल को
तुम लिखते रहो बस यूँ लिखते रहो

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