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Wednesday, February 2, 2011

            यादों की  किताब    

ये दिन ये बाते तुम्हे याद आएँगी
हम रहे या न रहे ,पर तुम्हारे यादों की
किताब में अक्षर  बनकर उकर जाएँगी

कभी बुराई कभी अच्छाई,
कभी झूट ,कभी सच्चाई
कभी पलो को जीना ,
तो कभी  पलो को भूल जाने  को पीना
कभी जुड़े का फटना ,तो कभी फटे को सीना

वो सावन के बारिश के पानी को पीना
वो भूल सारे बंधन बच्चो में जीना
कभी  बच्चो से जीवन के कायदे समझना
वो सर्दी के मौसम में गुल का मुस्कराके खिलना
वो तनआही में याद्नो का धीमे से  पिघलना
बोलते  गले का युएँ रुंघ जाना
 ख़ामोशी का चील्ला के कहना, जरा रुक  जाना

वो प्यार के इज़हार पर दिल का धडकना
गलती करने पर वो माफ़ी का तड़का
वो चाय के चुस्की में जीब का जलना
दुसरो के दुःख में वो आन्सो के फुवारे
वो दुःख हमारे वो दोस्त का कन्धा

ढलती उम्र में वो  बचपन के यादें
स्कूल छूटने पर वो हजारो वादे
वो दोस्त के छुटने का एहसास पुराना
ये यादें सुनहरी इन्हें जीवन भर सजाना

10 comments:

  1. nice poem .....gajab h likhte raho.....

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  2. dhanyawad bhai....protsahan badane ke leye...

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  3. आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार ०५.०२.२०११ को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.uchcharan.com/
    चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

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  4. ये यादें सुनहरी इन्हें जीवन भर सजाना
    wakayee,ye jeewan ki anmol poonji hoti hai.

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  5. ढलती उम्र में वो बचपन के यादें
    स्कूल छूटने पर वो हजारो वादे
    वो दोस्त के छुटने का एहसास पुराना
    ये यादें सुनहरी इन्हें जीवन भर सजाना.....

    सचमुच यादों से दूर रह पाना मुमकिन नहीं होता है।

    भावपूर्ण रचना के लिए बधाई।

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  6. सच ये यादें ही जीने का सबब बन जातीहैं।

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  7. shabdon mein chipa hua har ehsaas umda hai........

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  8. aap sabhi ke sarahana ke liye sukriya..

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  9. सुंदर रचना के लिए साधुवाद! मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!

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  10. dost jeewam ka sabse badha ahsas hai........... ji lo to jee gaye.pi lo to pee gaye . nice dost

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