आज हाथ काप रहे है, पर न जाने क्यूँ लिखने का मन बना लिया है.......थेर्म मोमीटर को मुह में कोच कर देखा तो बुखार कुछ युएँ ही १०१ निकल आया ...बस भाई आज घर में अकेला हूँ तो रोने का मन किया ....अपने आप को तसल ली दे रहा हु की अब बड़ा हो गया हूँ तो रोना नहीं है..... तो बस उ ट पटांग जो मन आ रहा है वो लिख रहा हु ताकि आंसूओं को रोकने के बहाने कुछ और कर सकू...नजाने आज बुखार में क्यूँ कॉलेज के आखरी दिन की तस्वीर उभर आयी है.....उस तस्वीर ने जो सीहरण पैदा की कंठ रुंघ गया....जबरदस्ती अपना ध्यान हटाकर बहार खिड़की की ओर करा ...ताकी बहार होती तेज़ बारिश मेरे मन में आते इन ख्यालों को धो दे...में क्यूँ ऐसा सोच रहा हूँ अभी तो कुछ दिन है कॉलेज खतम होने को....पर केवल कुछ दिन है....न जाने क्यूँ मु झे रह रह कर वो हरी भाई का खोका याद आ रहा है ...वो बारिश में हरी भाई की चाय....का मज़ा ही कुछ और था ....चाय कम पीना और दूसरो की टांग खीचना मन में अलग सी गूद गुद्दी पैदा करता है ......
वो दिन भी तो भुलाये नहीं भूलते जब माँ से झूट बोलकर रात रात तक जंगले पार्टी की .....सुरेश भाई के खोके पर रूककर ढेरो प्रोब्लेम्स का सोलू शुन ढूंडा .....सिर्फ सोलुशुन ढूँढने के चक्कर में डेरों क्लास्सेस बंक की.... रिपोर्ट कार्ड ख़राब होने की बहुत परवा रहती थी पर एक्साम का नहीं दोस्ती का....घंटो प्यार मोह्बात की मुस्किलो का समाधान करना और बड़े बड़े भविष्य के ख्याली पुलाव तो सभी के बीच आपस में फेमस थे .... अभी ठण्ड बड गयी है.......और अब आंसों ऊ को छीपाने में अपने बिस्तर में जा रहा हूँ ......
भई दो घंटे के ब्रेक के बाद वापस लोटा हूँ जैसे ही लगा की बस बुखार थोडा कम हो गया है तो बस आ गया लिखने....विचारों की लय थोडा गड़बड़ा गए होगी पर ....फिर भी वहीँ लोटता हूँ जहाँ छोड़ा था ...
अब तो दून विश्व्ह्वाविदयालय के दिन केवल उँगलियों पर गीन सकता हूँ ....वो बेमतलब का कॉलेज जाने का आहसास ही कुछ और था ....छुट्टी के दिन भी में कभी कभी कॉलेज हो आया करता था.......अस्सिग्न्मेंट उतने नहीं किये जितने दोस्तों के ख़ुशी के लिए उनके काम....पर फिर भी दोस्ती के मामले में नंबर फुल मिल जाते थे .....
मु झ जैसे स्टुडेंट को भी हर वक़्त आगे किया चाहे वो उत् पटांग थीअटर हो या मज़े के लिए debate बोलना .....हमेसा आगे बडाया......डी.उ की अभी हालिया सुरात थी तो उसकी जम्मी भी हमी थे और आसमान भी ....हम अस्सी बच्चे एक फॅमिली की तरह रहे .......अब फॅमिली हैतो मन मुटाव भी हुए ...पर आज तो कुल मिलकर सभी प्यार भरे लड़ाई झगड़े याद आते है....दोस्तों जहाँ भी रहो लेकिन मेरे उड़ते सन्देश पकड़ लेना....तुम्हारा साथी विनोद ......और ना जाने क्या क्या