उस दिन भी सिस्टम को गलियाते हुए में घर से निकला....साला रोड बाद में बनती है खोद पहले देते हैं.....आपसी coordination तो साला किसी डिपार्टमेंट के पास नहीं...है...यूँ भी हम सिविल सोसाइटी वाले लोगो की आदत है....दिन महीनो और सालो का गुस्सा ......किसी एक चीज़ पर ठोक बजा के निकालते है......तो में भी यही कर रह था खुदी पड़ी उस सड़क को अपने गुस्से से लतिया रहा था .......अरी पागल है .......थोडा मंद बुद्धि है......सामने पीले suit में फंसी नेगी आंटी अपनी तारकिक्क समता का परिचय देते हुए शर्मा अंकल को कह रही थी .........६ फूट लम्बे शर्मा जी जो अपनी व्यवहार कुसलता और वाक्पटुता के लिए कालोनी में काफी चर्चित हंसती थे ......उनकी हर बात पर हामी भरे जा रहे थे....अपनी बात को समर्थन मिलता देख वो कुत्ते वाली ऑंटी(नेगी ऑंटी)....जो अक्सर बच्चो को यह कह कर डरा देती है .......की अगर गेट के अंदर आये तो कुत्ता छोड़ दूंगी तुम्हारे उपर......खीसे निपोर कर हंसी जा रही थी....सामने खड़ा एक खूबसूरत डील डोल वाला लड़का बिना किसी सरकार की मदद लिए और किसी अधिकारी का इंतज़ार किये......उस बेतरतीब रोड को समतल कर रहा है......
भीड़ बड गयी है ....कुत्ते वाली ऑंटी के साथ अब कालोनी के कुछ और बातूनी और फिलहाल बेकार ...ओरते जुड़ गयी है.....रावत जी का लड़का कुछ करता नहीं बेरोजगार है.......नेगी ऑंटी बड़े गर्व से बोलती है....खुद का बेटा आर्मी में सिपाही है ......अब नौकरी लगना भला आसन काम है क्या ......B A , M . A, करने वाले खाली है तो ये तो दसवी पास है केवल......शर्मा जी अपने मीठे अंदाज़ में बढ़ी ही कडवी बात कह जाते है.........वो गोरा लड़का अभी भी सड़क को ठीक कर रहा है ...... लड़का अपने घर से होता हुआ काफ्फी घरो की सड़क को समतल कर चूका है.....
मेरे बेटे को ही लो...तीन तीन क्लिनिक पर बेठता है......आसान है क्या.....शर्मा जी की आवाज़ में एक अलग भारीपन है और थोडा गर्व भी ....शर्मा जी का बेटा डॉक्टर है......आयुर्वेद का.....कभी पूछयेगा की किसी अस्पताल में क्यूँ नहीं करते प्रकटिसे तो बड़े सलीके से सम्घायेंगे .आपको शर्मा जी ...अब अपना काम तो अपना ही होता है...क्यूँ . ये उनका पेट जुमला है......पिछले तीन साल में उनका बेटा सेकड़ो अस्पतालों के लिए सोर सिफ्फरिश दे चूका है......पर शर्मा जी को छोड़ कर ये बात सारा मोहल्ला जानता है.......उन्हें तो बस एस बात पर फक्र है की बेटा डॉक्टर है.....लोगो से कम मिलता है शर्मा जी का बेटा ताकि साख बनी रहे मोहल ले में .......और जिस से मिलता है उसके सामने पांच साल की सीखी डॉक्टरी .......पांच मिनट में बघार जाते है........"मेरे मास्टर हर वक़्त एक बात कहा करते थे .....ज्यादा पढ़े लिखे लोग अक्सर ज्यादा बोलते है......और कम पढ़े लिखे केवल काम करते हैं.......
सड़क समतल हो चुकी है ......और वो बुधी जीवी भवरे (auntiyaan ) अभी भी मंडरा रहे है.....उस गोरे लड़के के चेहरे पर शार्मिन्दागी की अलग अलग आक्रीतियाँ उभर आयी हैं ....शायाद कान में कुछ सब्द पड गए हैं उस लड़के के उस बुद्धीजीवे तबके के द्वारा ....बात उसके ही बारे में हो रही है ये उसे अहसास हो चूका है ......"हम कैसे भी हो और किस भी सामजिक और आर्थिक परिवेश से तालुक रखते हो ...मगर हर आदमी के अंदर एक आत्म समान की चादर होती है .......जिसे वो फटने नहीं देना चाहता ...... "वो गोरा लड़का अपने पसीने के बूंद को उंगली यो में समेटते हुए ......सूरज की ओर एक बार निहारता है......फावड़ा उठता है .....और अपने आप को सान्तवना देता.....अपने दो कमरों वाले घर में घुश जाता है.....
नेगी ऑंटी अपने भारी भरकम सरीर को अपने घर की ओर घुमाती है और अपनी व्यस्तता गिनाते हुए वहा से सरक लेती है..... शर्मा जी का लड़का कुछ गुन्नाते हुआ वहां अपनी bike में पहुँचता है ........खडी ओरते अब ज्यादा वयवहार कुशल होते हुए ......डॉक्टर साहब आप कैसे है का जाप सुरु कर देती है......डॉक्टर साहब को अपनी डॉक्टरी की डिग्री पर उस वक़्त फक्र होने लगता है.......डॉक्टर साहब हँसते हैं .......डॉक्टर साहब की उम्र तीस साल है .... सायद उस गोरे लड़के के बराबर ......
कमाल है सड़क काफी समतल कर दी है.....भाई दाद देने पड़ेगी उसकी जिसने ये किया....डोक्टर साहब फुस्फुस्साते हुएनिकल लिए....शर्मा जी अपने बेटे के ओर देखते है.......जैसे अभी तक चली टांग खीचाये में वो अपनी बात को फिर टटोलने की कोशिश कर रहे हैं ......ओरतो की हंसी रुक गयी है.....वो कुछ गंभीर मुद्रा में है....जैसे दिल में अटकी असली बात को डॉक्टर साहब ने एक झटके में बोल दिया .....भीड़ तितर बितर हो गयी है मेने एक बार फिर सड़क को देखा और........कहा साबास हीरो......किसी घर से गाने की आवाज़ आ रही है.......तोड़ेगे दिवार हम ...पायेंगे हम रास्ता.....यार हाँ.......मेने भी मन ही मन कहा ...हाँ यार तुम जैसे लोग रहे तो जरूर पायेंगे....
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