लोग पुछते हैं की क्या तुम जानते हो
हमारी परम्परानो और मान्यताओ को मानते हो
मेने छोटे मन से पूछा ,कैसी मान्यता
उत्तर मिला तुम नहीं जानते
यह हिन्दू है ,यह भगवन को पूजता है
यह मुस्लिम, इसका सर केवल अल्लाह के लिए झुकता है
और यह सिख है और यह ईसाई
यह कैसी मान्यता ,जो दिलो को दिलो से दूर करती है
यह कैसे परम्परा, जो जीवित स्त्री को सती करती है .
मेने कहा के मेरा मन तो इन सोचो से दूर है
दूर है ! इसका मतलब तू यहाँ की नहीं विदेशी धुल है ..
यह कैसी मान्यता जो त्योहारों पर पशुओं का नरसंघार करती है
और उन्हें के खून से अपने भाग्वान का श्रींगार करती है
यह कैसे मान्यता ,की अपने सुख में दूसरो को दुःख दो
गर्दन पर चाक़ू फिराओ और बोलो मत रो
No comments:
Post a Comment