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Wednesday, November 28, 2012

Change of heart


सुबह  के 8.30 बजे हैं . श्यामल सिन्हा  साहब एक लेख लिखने मे व्यस्त हैं ..सुबह से मेज़ पर पडे  अंग्रेजी के अख़बार  को  श्यामल साहब ने उठाने की ज़हमत तक नहीं उठायी  है ....अपने लेख मे वो किसी तरह की त्रुटी नहीं चाहते हैं ..लेख महिला ससक्तिकरण के   बारे मे है .....महिलाओं के किसी भी मुददे पर बोलने को वो अक्सर  आतुर रहते हैं ....फ़ोन की घंटी बजी है अखिलेश जी का फ़ोन है .....वी . सी  सर आप कब तक पहुंचएंगे कॉलेज ..." बस within an hour ...
 अपनी टाई  की नोड को दुरुस्त कर ओर अपनी कोट  की क्रीस को  कई बार चेक कर चुके हैं श्यामल साहब। वो अक्सर कपड़ो को लेकर बड़ा सजग रहते है ., उनका मानना है कपडे व्यक्ति के  व्यक्तित्व को दर्शाते हैं। ओर वैसे भी आज तो उनके लिए बहुत बड़ा दिन है। देश विदेश के कई   प्रोफेसर आज उनके कॉलेज मे आ रहे  हैं।आज कॉलेज मे महिलाओं की दिशा और दशा को लेकर बहुत बड़ी चर्चा है।

you  are  looking handsome पत्नी  ने श्यामल जी की  सजने  सवरने की अब तक की उनकी कोशिश पर आखरी मोहर लगा दी ...श्यामल जी की गर्दन फक्र से ऊपर हो गयी ओर एक आह भरने के साथ ही अपने अब तक किये गए अर्जित ज्ञान पर वो मंद मंद मुस्करा दिए। जल्दी जल्दी  टेबल पर सजे आमलेट को छुरी कांटो से काटा ओर दो निवाले मुह मे लिए ..खाते खाते एक  नज़र अख़बार की हेड लाइन पर भी फिरा दी ........नीचे एक कॉलुमं मे खबर छपी थी .....an Indain girl raped by her teacher ....खबर न्यू  योर्क सहर की थी ...अख़बार की खबर श्यामल जी के दिमाग मे सीधे उतर  गयी।. ..उनकी स्पीच मे एक उदहारण और जुड़ गया ...
श्यामल जी ने ड्राईवर को गाडी निकालने को कहा .....अपना सारे जरूरी दस्तावेज़ समेट श्यामल जी गाडी  मे  बेठे और  चल दिए। ठीक एक घंटे बाद वो कॉलेज पहुंचे .....वी .सी साहब को देख प्रोफेसर अखिलेश उनके पास  पहुंचे और उन्हें function की  तैयारी का ज्याजा दिया .....आधे घंटे बाद function  सुरु  होने   वाला था सारे delegates ऑडिटोरियम मे ज़मा हो चुके थे .....


कुछ देर बाद वी सी श्यामल सिन्हा जी audotrium  मे परस्तुत हुए। दीप  प्रज्वलित हुए तालियों की गडगडा हट   से  पूरा हॉल गूंजा ..पर इन सब के  बीच audotrium के आखरी पंक्ति मे बेठी प्रिया चुप चाप एक टक वी सी सर को देखी जा  रही थी। ...शायमल जी ने अपना भाषड बडे ओज के साथ सुरु कीया ...अपने भाषड के दोरान उनकी निगाहे कई बार प्रिय  से टकरायी ...और जब जब टकरायी तब तब   उनकी तेज़ तर्रार आवाज़ मध्यम पड़  गयी ..हालाकि ये  बात प्रिया के अलावा चंद  ओर लोग ही भांप पाए ...वी सी साहब ने अपना भाषण अंग्रेजी के किसी महान कथन  के साथ समाप्त किया ...जिसमे ओरतो को इस  दुनिया का रचियेता बताया गया और उनका सम्मान   करने की  नसीहत दी।..

बहार अब काफी अँधेरा हो चला था ..तकरीबन सभी लोग अपने अपने तर्क रख चुके थे ..प्रिया  अभी भी  वी सी सर को एक टक  देख रही थी ..अब श्यामल जी को थोडा असहज महसूस होने लगा था ..पर अब इवेंट समाप्ती की ओर था  इस  बात की तासल्ली  दे वो अपने मन को मना रहे थे।

कुछ मिनटों बाद इवेंट खत्म  हुआ और सभी को जलपान के लिए नीचे हॉल मे  जाने को कहा गया ....प्रिया ने अपने अंदर की सारी हिम्मत   को समेटा ....और मौके की नजाकत को भाप अपनी बात वी सी सर को फिर से कहने का फैसला किया ..जो बात उसने वी सी सर को तीन रोज़ पहले चीठी के माध्यम से बोली थी .....श्यामल जी को कुछ देर  अकेला पा ... प्रिया उनके पास  पहुँची ....सर तो फिर क्या फैसला किया  आपने ....बड़े डरते हुए उसने अपनी बात रखी ...,श्यामल जी  गुस्से से तम तमा गए ...प्रिया को मामला  subside करने की हिदायत दी ........ये हमारी कॉलेज की reputation का सवाल है ......प्रिया ने फिर अपनी बात रखी .....सर अभी तो आपने कहा की औरतों को उनका हक दो और अब .....बीच मे  ही प्रिया की बात काटे ते  हुए श्यामल  जी ने प्रिया को डांटते हुए  कहा ..  listen I will not take any action against him ....गोट इट ...afterall वो हमारे कॉलेज के इतने पुराने प्रोफेसर हैं। पर सर पुराना होना किसी आदमी  की साफ़ छवि की गैरंटी  तो नहीं देता  .....देखो प्रिया  तुम गाँव से इतनी दूर  यहाँ पडने आयी हो ....तुम्हारे माँ बाप को तुमसे बहुत उमीदे हैं ...अपनी पढाई  पर focus  करो ........हाँ  पढाई   मे कोई  हेल्प चाहीये .....तो    टेल मी।   प्रिया रोते हुए वहा से चली   गयी।

अगली  सुबह श्यामल जी अपने बाग़  मे  बेठे   अराम  फरमा रहे   थे  ...हाथ  मे बुक है "   women can bring the change .....सोनल से बात की क्या तुमने कल ?। श्यामल जी की पत्नी अख़बार और साथ चाय   का कप  लिए आयी .....नहीं उसका फ़ोन स्विच ऑफ था .....ये  लड़की भी ना कब सुधरेगी .....हम से इतना दूर रहती  है ...और बात  तक करने की फुर्सत नहीं है इसके पास ....श्यामल जी ने अख़बार को उठाया और खबरों की तफदीश करनी सुरु की ..बीच का पेज खोलते ही एक खबर पड़  श्यामल जी अपनी  कुर्सी   से उठ खड़े हुए ...प्रिया  ने आत्म हत्या कर ली थी ....अख़बार बड़े बेतरतीब ढ़ंग  से उनके  हाथ से छुट कर ज़मीन  पर आ गिरा ....उनकी नज़र अचानक अख़बार के पहले पन्ने पर पड़ी .....श्याम जी की  धड़कन अंदर गहरे  शरीर मे उतर गयी ...उसमे उनके बेटी सोनल की  तस्वीर थी ...कुछ अँगरेज़ अधिकारी उसे stretcher पर ले जा रहे थे .....उसने आत्म हत्या कर ली थी ....खबर थी "A girl molested by her teacher.. killed  herself ....college authorities are subsiding the matter .

श्यामल जी के चमकते कुर्ते पर अब सलवटे ही सलवटे हैं .....उन्हें  अपने अन्दर बहुत सारे   परिवर्तन होते हुए एक साथ महसूस हो रहे हैं .....खून के अदृश्य छीटे अब उनके व्यक्तित्व को  दर्शाने वाले  उनके कपड़ो पर  हैं।  ज़मीन मे  धुल फांकती श्यामल जी की सबसे चहेती किताब पड़ी है जिस से वो अक्सर अपने भाषण तैयार किया करते थे  "women can bring the change .



Tuesday, November 27, 2012

घर



आज आसमान कल से ज्यादा नीला है । . .एकदम नीला .....  पर इस नीले आसमान की रोशिनी नजाने क्यूँ मंगतू को चुभती   सी है ....दिल्ली के एक रीहयाशी  इलाके मे सडको पर दोड़ती  गाड़ियों का शोर अचानक  बढने लगता है। .......मंगतू को  लोग ऐका एक   अपने कद से बड़े नज़र आने लगते हैं ....बड़े चेहरे, बड़े बंगले ,बड़ी  गाड़ियाँ सभी कुछ बड़ा सा ...मंगतू और डरने   लगता है। ....वो अपनी टूटती सैंडल के फीते को दुरुस्त करता है ।....फीता दुरुस्त कर जैसे ही वो उठता   है ... सामने एक भीमकाय होअर्डिंग जिस पर लिखा है आपके सपनो का घर महज़ चंद कदम दूर ,उसको अपने ऊपर गिरता प्रतीत होता है ..वो दौड़ कर सड़क के एक किनारे  जाता है। ....अपने माथे पर टपकते पसीने को अपने अध फटे  शर्ट के बाजूओं से पोंछ ते हुए    जोर से अपनी  आँखों को भींचता है। ..आँखों को   खोल दुबारा होअर्डिंग की  तरफ देखता है। ...होअर्डिंग अपनी जगह पर खड़ा है ...मंगतू अपने अन्दर उठते एक सवाल का जवाब तलाशने की बड़ी  पुरजोर कोशिश कर रहा है ..क्या इतने   बडे घर होते  होंगे ? ....अबे देख कर चल मरेगा क्या ....मंगतू को बड़ी गाडी मे बेठा   एक सख्स गरिया देता है। ....मंगतू को वो गाड़ी उलटी हवा मे चलती प्रतीत होती है। .....मे पागल तो  नहीं हो गया वो अपनी बांह पर बड़ी जोर से चीगोटी काटता  है। ... मगर  सब कुछ सत्य है  ....मंगतू  के पैर    आचानक   हाथी पांव जितने मोटे हो जाते  हैं ...वो  दौड़ना चाहता है पर पाँव हिल नहीं रहे हैं ..वो पीछे  मदद के लिए   देखता है .. उसे कुछ लोग अपनी ओर आते दीखाई देते हैं ...वो जोर से चिल्ला  कर  उन्हे  अपनी ओर बुलाने की कोशिश करता है। ...पर उसके गले मे  नजाने क्या फंस गया है ...वो कुछ बोल   नहीं पा रहा है ...वो लोग  करीब    जाते   हैं ।....  उनके करीब  आते ही मंगतू अब ओर घबरा  उठा है ....वो लोग पागल प्रतीत होते   हैं। उनके नाखून भूतों जितनी लंबे हैं ..वो हर आते जाते को लूट लेना चाहते हैं ...मंगतू पूरी ताकत से  पांव को आगे बढाता है। पर  उनकी  गति उससे काफी तेज़ है  ...मंगतू को दूर से   अपनी  बेटी    आदी आती दिखाई देती है ..वो   तेज़ी से  बाबूजी बाबूजी  कहते मंगतू की ओर  बढ़ रही है। मंगतू को लगता है जैसे डर ने उस  पर एक  आचानक हमला   किया है । वो सिहर  उठा है । उसे  लगता है की वो अब अपने प्राण त्याग देगा  । उसे खुद की  आंखे बंद  होती महसूस होती  है  ....पर उससे  पहले   वो अपनी बेटी को एक महफूज़ जगह पर पहुंचा देना    चाहता है ...वो पूरी जान  लगा दोड़ता है ....उसके पैरो से  खून जगह जगह फूट रहा है ...जिससे तेज़ गंध रही है।  वो पागल अब मंगतू ओर उसकी बेटी के करीब पहुँचने वाले हैं।मंगतू औ तेज़ दोड़ता है ..पहले से ज्याद तेज़ ...और आदी तक पहुँच जाता है।  वो जैसे ही आदि को छूता  है, उसको  सब अँधेरा दिखने लगता है   वो अपनी जेब   से एक  जर्द कागज़ का टुकड़ा    निकाल आदि के हाथ में रखता है।वो कागज़  जो वो सुबह लेकर चला था   आदी उस पर्ची को झट  से खोल  पड़ती है ..  पढते साथ ही सब पागल गायब हो जाते हैं ...आवाजें धीमी हो ज़ाती    है । आदी  रोने लगती है .."उस पर्ची मे एक शब्द  लिखा है "घर लोगों की संवेदन सीलता वापस लोट रही है .... कुछ लोग मंगतू की नब्स  टटोलते है ....एक कहता है ..कुछ नहीं बेहोश हो गया है। ..   शायद कई दिनों से खाना नहीं खाया   भीड़ मे खड़ा दूसरा व्यक्ति कहता है.... अजी सुबह से पड़ा हैं । यहाँ पर ...किसी चीज़ . से ठोकर खा कर गिर पड़ा था ..पैर से खून भी बह   रहा है ...आदी मंगतू के कान  मे कुछ बुदबुदाती है ..बाबूजी बाबूजी ..अप परेसान  मत   हो ..मेने घर ढूंड लिया है ..इसे कुछ खिलाओ बेटे। घर कहाँ   है तुम्हारा .. यहीं पास  मे आदी सुबकते हुए कहती है .

जाओ कुछ खाने को लेकर आओ ...इतना कहते साथ   भीढ़ तितर बितर  हो जाती है ।.......आदी दौड़ के घर जाती है। उसने नया घर तलाश लिया है। ..माँ घर को  साफ़ कर रही है ..वहां  नाके पर एक कूड़ाघर है। जिसे आदी और उसकी माँ ने   सबह साफ़ कर रहने लायक बनाया है। आदी झट से  कूडे दान मे कुछ तलाश ने  लगती है .... वहीँ पास कूडे मे कुछ साबुत पडे  bread  के टुकडे मिल जाते हैं। वो जल्दी से एक लोटा पानी और कुछ ब्रेड के टुकडो के साथ वहीँ  पहुँचती  है ,जहाँ मंगतू बेहोश पड़ा था ...वहां  से भीड़ अब जा  चुकी है  ... मंगतू को आदी वो ब्रेड खिलाती है ..कुछ देर बाद मंगतू को होश   जाता  है ....अपनी आदी को अपने करीब पा मंगतू के चेहरे पर बड़ी सी हंसी ओर  प्रभु के लिए शुक्रिया  है ...आदी उछलते  हुए मंगतू को  बताती है .... देखो बाबूजी हमारा नया घर ..मंगतू मंद मंद मुस्करता  है और आदी की  पीठ  थप थपाता है ... अब नीला आसमान सुर्ख काला हो चूका है। वहीँ पास मे कुतों के बीच मे ज़मीनी संघर्ष जारी है  ..और दूर सभी घरों मे बत्तियां टीम टिमा रही हैं ....