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Tuesday, December 24, 2013

कि छोड़ दे हाथ ;उन बोनी उमीदों का
जिसके ठीगने कदमो का हर रोज़ उपहास उड़ता है.
फंसा के देख उँगलियाँ ;उन सूखे खेतों की दरारों पर .
जहाँ चटकती हड्डियों का इतिहास रहता है.

हर रोज़ वहाँ गरजते बादलों से अब सिहरन नहीं होती .
तेरे घर मे मेरी चमड़ी का ; एक नक्काशीदार लिबास रहता है .

मेरी बची हड्डियों का चाहे तो खुशबूदार झूमर बना देना .
इन हड्डियों मे ज़मी राख मे मेरा फिसलता खवाब रहता है.
और रह जाए कसर कोई फिर भी .
तो मेरा बेटा तेरा कर्जदार रहता है .

बचे रहना ज़ब तक बचो मेरे बच्चो.
पड़ोश के उस घर मे ज़मीदार रहता है. 
हाँ इज़ाज़त है तुम्हे मेरे ज़ख्म तक ज़ाने कि ;
क्यूंकि अभी इन आँखों मे बहुत पानी है
भले टूटी हो कलम मेरी ;डायरी के तीसरे पन्ने पर ;
मगर दिल के अजायबघर मे अभी सेकड़ो कहानी हैं. 

Thursday, July 18, 2013

वो बड़ी अजीब हरक़त करता है१ 
खुदा तेरा मेरे गमो मे हर रोज़ सिर् कत्त करता है 
चला जाता है अक्सर उसकी दहलीज़ पर 
जिसकी दुकानों पर वो हर रोज बिका करता है 

लग गयी कस्तियाँ मेरी सोच की किनारे पर 

क्या लिख दिया तुने ओ नाविक इन तरंगो पर 

मे छोड़ आया वो छल्ली रूह 

तेरे नाव के मुहाने पर 

Thursday, June 27, 2013

 आ  अपने अपने आसमान मे कुछ उमीदे उछाले
बादलों के कान मे मोर पंख  डाले
छोड़ आये उम्मीद के कुछ बीज उसकी क्यारी मे भी
चल फिर चुपके से हंसती ज़िन्दगी को निहारे



Saturday, April 20, 2013

मजदूर

   वो  बाइस पस्लीयों वाला , जर्द चमड़ी  लिए
 अक्सर दिख  जाता है ,टूटे मकानों पर .पुलों और गटर पर

 उसके  पीठों  पर अब  इतनी  खराशें है  उन रइस  मकानों की
 जो खड़ी हुई उसकी जिस्म की  ढलानों  पर

 चेहरे पर इतनी  मिट्टी  है उन सुखे खलिहानों की
 की अब उम्मीद नहीं  दिखती   उसको,
अपने बंद कमरों के ,छोटे रोशनदानो पर



Tuesday, March 19, 2013

मजहब आज फिर से बन बेठा .है ज़मीदार हमारी बस्तियों का
इंसानियत अब उधारी पर जिंदा है ,
पथ्थरों पर भेजे जा रहे है ,अब प्यार के सन्देश
पहचान छुपाने को गरीबी अब बुर्का ओडे फिरती है
उन नुच्चे हुए मकानों से मन करता है पूछ लू ,
ये किस ज़मीदार की बस्ती है ,,,,,







Sunday, March 17, 2013

राम भूल गयें हैं ..जंगल मे रास्ता ,
रावण ने खुद ही लौटा दिया है सीता को ,
संजीवनी बूटी है ,अब कलयुग के हाथ मे ,
और वो हंस कर कहता है ,बरखुदार इसे जीवन
रक्षक कवच कहते है ,

(भगवान  अपने काम से सेवानिर्विर्त हो चले हैं ....)



Thursday, March 14, 2013

आजकल बड़ा फटीचर खवाब देख रहा हु ,
घुटने टेकू तो सर को उपर
.और गर्दन  को गरीबी रेखा के नीचे देख रहा हु ,




Thursday, March 7, 2013

वन नाईट ओन लोनली रोड



वो आज ऑफिस से जल्दी निकलने की कोशिश मे अपना सारा काम वक़्त से पहले निबटा देता है .....बहार बहुत तेज़ तूफ़ान आने वाला है ...जोर से बिजली कड़कने की आवाज़ रह रह कर उसे  सुनाई दे रही है। तकरीबन पूरा स्टाफ घर जा चूका है ..बस वो और बॉस अभी भी वही मोजूद है .....उसकी नज़र घडी पर पड़ती है ... ११ बजे हैं , बॉस का फ़ोन अचानक उसकी टेबल पर बज उठता है। मयंक एक फाइल बेझ रहा हु जरा उसको स्टडी करके मेरे पास दस मिनट मे बेझो ...... जी सर मयंक  हामी भर देता   है। वो आज बेहद  उत्साहित है। आज महीने  का आखिर दिन है और उसकी पहली सैलरी उसके हाथ मे है। अपनी आखरी फाइल को बहुत जल्दी से रिव्यु कर सर के केबिन मे रख आता है . अपना हेलमेट उठा वो तेज़ी से ऑफिस से बहार निकल जाता  है ..बहार बारिश सुरु हो चुकी है ....वो बाइक की गति को काफी तेज़ कर बारिश से बचता बचाता निकलता है… ऑफिस  से उसके घर की दुरी तकरीबन २ ५ km  है . .....लगता है जैसे बाइक ख़राब हो जायेगी बाइक मे ये कैसी आवाज़ आ रही है ...वो थोडा परेशान हो जाता है  ...वो मन ही बुदबुदाता है।घडी की तरफ  नज़र दौडाते हुए ,वो फिर से बाइक की गति को और बड़ा देता है ,घडी मे १ १ .३ ० बज चुके हैं ....वो अब मॉल रोड तक पहुँच जाता है ,,  यहाँ  से घर तक   अभी भी आधा रास्ता बाकी है .उस के मन मे ये खयाल बार बार आ रहा है ....तभी ....उसे दूर सामने एक  अपनी ही उम्र का लड़का लैंप पोस्ट के नीचे दिखायी देता है ...उसके हाथ मे एक बहुत बड़ा बैग है ...रुकिए भाई साहब ...मयंक आचानक से ब्रेक मारता है " जी कहिये ".....एक्चुअली मुझे आगे विक्टोरिया रोड जाना है ..बहुत देर से खड़ा हु यहाँ ...पर कोई गाडी ,ऑटो कुछ नहीं  आया ......
 

"हाँ ये थोडा सुनसान इलाका है ,,,यहाँ इस वक़्त गाडी मोटर कम ही चलते है। ,,मयंक  बोला 
खैर आप बैठिये मे आपको छोड़ दूंगा ..
पर  इतनी रात को आप यहाँ क्या कर रहे है ....रेयर मिरर मे अपने को देख मयंक बोला 
वो थोडा सकपकाया ....और बोला वैसे मेरा नाम निलेश है ...किसी काम से आया था यहाँ ....पर बस छुट गयी तो  ......सोचा थोडा पैदल चल  लु ..सायद कोई गाडी मिल जाए और ... लकीली आप  मिल गए ... 
तभी दूर से आती ट्रेन की आवाज़ दोनों के दरमियान कुछ खलल पैदा करती है 
अच्छा भाई साहब यहाँ  पा स कही रेलवे स्टेशन    है क्या ? ...
जी आगे है ..तो मुझे वहीँ छोड़ दीजियेगा ....कुछ  दूर पर जा कर मयंक गाडी रोक   देता है .....
आप यहाँ से  मु ड जाएँ  .....आधा km की दुरी पर   स्टेशन  है। ,पर आपको तो विक्टोरिया रोड जाना था 
फिर ..यहाँ ...मयंक बोला  ...
 जी अब मे चला जाऊँगा  ....सुक्रिया ...निलेश ने मयंक की बात  का उततर नहीं दीया 
बड़ा अजीब बंदा था ...खैर जाने दो ..मयंक  मन मे बुदबुदाया,और बाइक को  उसने हवा की गति से  दो डा दीया। सड़क अब तक बारिश से पूरी तरह भीग चुकी थी ...मयंक मस्ती मे गाना गाते हुए दोनों हाथ छोड़ बाइक चला रहा था ..उसने सड़क की दोनों ओर देखा कोई नहीं था .....वो  निश्चिंत हो और जोर से गाना गाने लगा ..
excuse me  ...वो अचानक से चोक  पड़ा ...बाइक गिरते गिरते बची .....उसने बाइक रोकी .और देखा सड़क के दूसरी छोर पर एक लड़की खड़ी है ...लाल सूट और पीला दुपट्टा ,,कानो मे बड़ी बड़ी बालियाँ .....पहली नज़र मे वो उसे बेहद  खूबसूरत लगी .....
जी मुझे आप आगे तक छोड़ सकते है ..
जी कहिये कहा तक जाना है आपको ...
विक्टोरिया रोड .....वो बोली 
ये सबको विक्टोरिया रोड ही क्यूँ जाना है ?....
जी .कुछ कहा आपने ?
नहीं कुछ नहीं मयंक बोला .आज का दिन  सच मे   बहुत  अच्छा है ...वो मन ही मन  सोच  रहा था ..इतनी  खूबसूरत लड़की आज उसके  सा थ बाइक पर बे ठी थी ......वो इस ख्याल से रोमांचित हो उठा     
वो मदमस्त   हो बाइक चला रहा था ....जैसे ही कोई गड्डा आता वो बाइक की गति को तेज़ कर देता ...गड्डे पर डगमगाती बाइक पर .लड़की का हाथ  मयंक के  कंधे पर टिक जाता ......वो पहले से ज्यादा रोमांच से भर उठा ...
आप comfortable है न मैम ...मयंक बोला ...
"जी ".....लड़की धीमे से बोल देती है ....
मयंक अपने बाइक के मिरर को एडजस्ट कर लड़की को उसमे  देखता है वो बेहद खूबसूरत लग रही थी ....उसकी हंसी उसे ज्यादा 
 रंगीन लगती है       

वो लड़की  को मिरर मे  लगातार  देखे जा रहा है ,.....

अच्छा मैम आप यहाँ अकेले क्या कर रहीं थी ....It could be dangerous .वो बोला 
वो मेरी ट्रेन लेट हो गयी ,और फ़ोन भी   ऑफ हो गया ..तो जो मुझे पिक करने आने वाले थे ..उनसे कांटेक्ट नहीं हो  पाया ,,,तो मे यहाँ वेट करने लगी .......वो एक सांस मे बोल गयी 
..................फिर दोनों के दरमियाँ एक खामोसी आकर पसर गयी। 
     
मयंक बस उसे निहारे जा रहा था ...और इसी बीच अपनी बाइक की भी पीठ थपथपा चुका था .....वो रास्ते मे ख़राब जो नहीं हुई थी।
ये लीजिये मैम आ गया आपका विक्टोरिया रोड .....
ओह्ह थैंक्स .....वो बोली .
पर इतनी सुनसान सड़क पर आपको इस समय  कोई गाडी मिलेगी नहीं ....१ २ बज रहे हैं ...मे आपको घर तक ड्राप कर देता हु 
  
 नहीं thanku .... वो दो  टूक सब्दो मे बोली ...और विक्टोरिया रोड पर मुड गयी 
मयंक ने बाइक पर जोर से किक मारी ....बाइक फिर हवा से बाते करने लगी .....तूफ़ान अचानक रुक गया था ...और .बारिश भी 
वो हैरान था अब जिस रोड पर वो  था वहा से उसका घर चंद मिनटों की दुरी पर था ....पर .वहा सड़क बिलकुल  सूखी थी जैसे वहां कोई तूफ़ान कभी  आया ही नहीं  था  ....उसकी नज़र एकदम से अपने रेयर मिरर पर पड़ी ..उसे   वो लड़की हंसते हुए नज़र आई ....वो चोंक गया ...बाइक रोक उसने पीछे की ओर देखा पर वहां कोई नहीं था ..सुनसान सड़क पर वो  अकेला खड़ा  था .. ...उसने बाइक की गति पहले से ज्यादा तेज़ कर दी। उसकी हथेलियाँ पसीने से  पूरी तरह  से भीग  गयी थी ....उसने डरते हुए फिर मिरर पर देखा .....लड़की वैसे ही हंस रही थी ....अब मयंक बेहद डर गया..उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे ......पर इस बार वो शादी के जोड़े मे थी .....मयंक अब  बदहवास     हो चला था। इस से पहले कुछ और   होता मयंक घर पहुँच गया  .....उसने  राहत की सांस ली .......
माँ ने  दरवाजा खोला ....कैसा रहा दिन ...माँ बोली ..वो थोडा और रिलैक्स हो गया ..
पानी लाऊँ।  ........ जी माँ     
और अख़बार भी ले आना ...माँ अख़बार और पानी का गिलास उसके सामने रख ..किचन मे चली गयी 
मयंक ने  अख़बार पर नज़र दोडाई   .....उसकी दिल की धड़कन अचानक तेज़ हो गयी  ..अख़बार मे विक्टोरिया रोड  वाली   उस लड़की की तस्वीर  थी  ........और बगल मे उस लडके की जिसे उसने स्टेशन तक छोड़ा था ......उसकी .आँखों से खून निकलने लगा  .....सर एक दम गरम हो गया  ......वो भक्क से ज़मीन पर आ गिरा । ....... .खबर थी " इज्ज़त के नाम पर प्रेमी युगल का क़त्ल ..... दोनों की  लाश रेलवे    स्टेशन और विक्टोरिया रोड से बरामद  "....लडके का नाम निलेश  और और लड़की का नाम रुक्सार था .

















Friday, February 22, 2013

 अफसर

डंडा उठा अब मे अफसर हुआ चलता हु
बगल में फाइल दबा अब पूरा दफ्तर लिए चलता हु
अब हाथ मे पान और मुह मे गाली है,
और कुर्ते धारियों का सबसे चहेता ,ये अफसर मवाली है।

अब तो आलम ये है की रिश्वत ना मिले 
तो उसके घर से तेल का कनस्तर लिए चलता हु,
मतलब कुल मिलकर अब दादागिरी छायी है
और यकीन मानो नौकरी पर हमारी रोनक फिर से लोट आई है.





Monday, February 18, 2013

बात आई , गयी और हो गयी ,
आज हंसी घर आई  ,और रो गयी ,
मेने पीठ थपथपाई हंसी की फिर से ,
कहा आज ज़िन्दगी आई ,हंसी और सो गयी




Wednesday, February 13, 2013

खादी के वेष मे , बंदूके हैं देश मे
वो देश काटने वाले मस्त  हैं घरो मे
वो इन्कलाब गाने वाले ,बंद हैं परदेश मे


Tuesday, February 12, 2013

वो  रोज़ गिरे सडको पर ,उनको उठाने के लिए ,
जब चोराहे पर मिले वो सड़क के ...तो उन्होने उन्हे गिरा हुआ समझ लिया



Thursday, January 31, 2013

जिंदगी

जिंदगी अब बटुआ हो चली ,और समय सिक्के
माँ की प्यारी थपकी अब, बस का क्रूर धक्का हो चली
साली जिंदगी अब बटुआ हो चली ,और समय सिक्के


                                   

बेरौनक यहाँ कोई चेहरा नहीं होता ,
नूर सी चमकती है वो आंखे भी ,
जब  अजनबी सहर मे ,आवारा घुमती उन सडको पर
उम्मीद का एक दीपक  ,धुंधला नहीं होता .


  

Saturday, January 19, 2013

   "

 उस रोज़ बारिश बिना खपरैल वाली छत से टकरा कर बोली
हठ मुहाजिर कहीं का
वहीं सुखे ज़मिनोदंज़ जिस्म चिल्लाकर बोले सुक्रिया
बुखार मे तड़पती उस मासूम बच्ची ने उपर वाले को कोसा
की जा  मेरी आखरी सांस ने तुझे माफ़ किया