Total Pageviews

Tuesday, December 24, 2013

हाँ इज़ाज़त है तुम्हे मेरे ज़ख्म तक ज़ाने कि ;
क्यूंकि अभी इन आँखों मे बहुत पानी है
भले टूटी हो कलम मेरी ;डायरी के तीसरे पन्ने पर ;
मगर दिल के अजायबघर मे अभी सेकड़ो कहानी हैं. 

No comments:

Post a Comment