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Thursday, March 3, 2011

किनारे पर रखा मेरे यादों का कटोरा



अक्सर में लिखना तब सुरु करता हूँ ,जब अपनी तबियत थोडा नासाज़ पाता हूँ .आज भी सर भारी है ....और ज़मीन आड़ी तीरची नज़र आ रही है ...तो सोचा दिमाग में कुछ  ज्यादा ख्याल भर गए है तो बेहतर होगा के उन्हें .....कागज़ पर उड़ेल दू ... तो बस बैठ गया बीस्तर  पर गुमटी मार कर ....अब काफी देर निठ्ला बेठा रहा तो लगा की  चलो पुरानी एल्बम ही  देखि जाये...काफी उथल पुथल मचाने के बाद आलमारी के भीतर वाले खाने में आख़िरकार वो यादों की  पोटली मिल ही गयी ......देखकर ख़ुशी इतनी हुई ,जैसे नजाने कौन सी  जंग जीत ली हो....खैर जैसे तैसे उस एल्बम को बहार निकाला और थोडा झाड़ा ,क्यूंकि आस पास कोई कपडा नहीं दिखा तो ...ज्यादा झाड़ने की जहमत भी नहीं उठाई ..
एल्बम को झटके से पकड़ कर बीच से खोल डाला...और देखा की कौन सी  फोटो मेरे आँखों  के सामने पहले आती  है...ऐसा खेल में छुटपन में बहुत खेलता था ...आज एक बार फिर कोशिश की ...सिर्फ कोशिश हाँ ....खैर जिस फोटो पर मेरी  पहली  नज़र पड़ी  ,पूरा दिन में उस ही फोटो को लेकर घूमता रहा ....वो कोने रखी एल्बम का अगला पन्ना पलटना तो में भूल ही गया...फोटो थी मेरे उन पुराने दोस्तों की ..जो नाजाने अब कीन कीन जगहों पर है .तस्वीर उतनी साफ़ नहीं थी ..काफी धुंदली थी ..पर उन सब दोस्तों के चेहरे ,और यादें एक दम तेज़ी से दिमाग में कौंध  गए ...वो स्कूल छुटने के आखरी दिन बहुत तेज़ बारिश हुई तो सबको ठीक से बाय भी नहीं कह पाया...कुछ दोस्त रूठे हुए थे...तो उनको सॉरी बोलने की  तमन्ना दिल में हीरह गयी..आज वो दोस्त सामने होते तो गले लगा कर कहता सॉरी  यार भूल तो नहीं जाओगे... पर वो इच्छा पूरी नहीं हो पायी तो आज उन सारे दोस्तों के फोटो देख मन ही मन सॉरी कह दिया..आजकल कॉलेज में हूँ और कॉलेज खत्म होने को चंद दिन रह गए हैं ...और कुछ लोग रूठे हुए हैं ..इस  फोटो को देख कर लगा की पांच साल हो गए ..स्कूल छोड़े  और एक फोटो मेरे हाथ में है और मुझे   अफ़सोस है ...की  उन दोस्तों को गले लगा कर नहीं बोल पाया" यार तुम बहुत याद आओगे " में नहीं चाहता की अगले पांच साल बाद मेरे हाथ में एक और फोटो हो ......और में फिर उनके फोटो को बोलू यार तुम बहुत याद आओगे ........तो मेने सोचा है की इस से पहले की मेरी  यादों के फूल  अपनी अपनी खुस्बूऐन लेकर अलग अलग बिखर जाये ....में इन्हें एक बार फिर से अपने अंदर भर लेना चाहता हु ... तो मेरा ख्याल है की किनारे  पर रखे मेरे यादों के कटोरे को खोलने का टाइम आ गया है...तो कैसा ख्याल है जनाब .....

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