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Tuesday, December 28, 2010

मैं आक्रोश हूँ...!
तुम्हारी मौजूदगी ही मेरे अस्तित्व की समयसीमा है
जब तक तुम रहोगी,तब तक मैं भी रहूँगा
मुझे खुद को बचाए रखने कोई लालच नहीं
लेकिन...
तुम्हें ख़त्म करने की चाहत जरूर है।
आरी ओ अव्यवस्था
तुम सुन रही हो ना...!
...प्रदीप

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